Sunday 28 September 2014

History of Prithviraj Chauhan in Hindi - The Indian Last Warrior

बाल्य जीवन - शूर वीर योद्धा पृथ्वीराज

उस समय भारत अपने सुख समृद्धि के शीर्ष पर था विदेशियों की नज़र शुरुवात से ही इस देश में थी, वे व्यापारी, साधू, फकीर आदि के रूप में वहां जाकर लोगो को धोखा और राज्य के गुप्त भेद को जानने का प्रयत्न करते रहते थे, एक बार आजमेर में रोशन अली नाम का फकीर प्रजा को धोखा दे रहा था जब पृथ्वी को इस बात का पता चला तब उन्होंने अपने सामंत चामुडराय को उसके पास भेज कर समझाना चाहा पर जब वो नहीं माना तब पृथ्वीराज ने उसकी उँगलियाँ कटवा कर देश से निकलवा दिया। रोशन अली ने सरदार मीर के पास जाकर पृथ्वी की बहुत निंदा की पर उत्तेजित होने पर भी वो उनमे आक्रमण न कर पाया क्योंकि उन्हें अपनी औकात के बारे में अच्छी तरह से पता थी। अब वो सौदा गर के भेष में अजमेर आया साथ में अरब के सरदार भी आया, पृथ्वीराज ने उनसे एक अच्छा सा घोडा देखकर खरीद लिया, कहा जाता है की उस दिन अजमेर में भूकंप आई थी, जिसके कारण तारागढ़ का प्रसिद्ध दुर्ग भूमि में धंस गया था। मीर ने इस बात का फायदा उठाना चाहा और नगर में कुछ सैनिकों के साथ लूटपात मचा दी परन्तु पृथ्वीराज और उनके वीर राजपूत ने उनका इस तरह से सामना किया की वे अपना सब कुछ छोड़ कर अपने प्राण बचाकर वहां से भागा। एक बार गुजरात के राजा भिमदेव सोलंकी ने अजमेर के प्रजा का विश्वास उनके राजा से हटाने और इस बात का फायदा उठा वो अजमेर में हमला करने के फ़िराक में था, इसके लिए उसने अजमेर के प्रसिद्ध कोटेश्वर मंदिर के सोने का शिवलिंग चुराने का प्रयत्न किया पर पृथ्वी राज चौहान ने अपनी वीरता से उस शिवलिंग को बचाया और उसके आदमियों को ऐसा जवाब दिया की भीमदेव को मुंह के बल गिरना पड़ा अब उसका गुस्सा सातवें आसमान में जा पहुंचा था। पृथ्वीराज चौहान की बाल्य जीवन समाप्त होते ही उनके इस तरह के कई वीर गाथाओं के कारण उनका नाम चारों दिशाओं में गूंजने लगा था।



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